
भारत / शिवपुरी, 7 अक्टूबर 2025 | संवाददाता – शिवपुरी तेज़ खबर
भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली में कल (8 अक्टूबर) से एक ऐतिहासिक बदलाव शुरू होने जा रहा है। अब यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) उपयोगकर्ता अपने चेहरे की पहचान (Face Recognition) या फिंगरप्रिंट (Fingerprint Authentication) से लेनदेन को मंजूरी दे सकेंगे।
यह सुविधा नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए दिशानिर्देशों के तहत शुरू की जा रही है। इसका औपचारिक प्रदर्शन ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल में किया गया।
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💡 क्या है नया फीचर?
अब तक सभी UPI भुगतान में 4 या 6 अंकों का पिन आवश्यक था।
लेकिन 8 अक्टूबर से उपयोगकर्ताओं के पास दो नए विकल्प होंगे:
1️⃣ आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण
इस मॉडल में उपयोगकर्ता का चेहरा या फिंगरप्रिंट उनके आधार डेटाबेस से मिलान कर लेनदेन की पुष्टि करेगा।
इससे वे उपयोगकर्ता जिन्हें डेबिट कार्ड नहीं है, अब आसानी से UPI पर रजिस्टर हो सकेंगे।
यह सुविधा ग्रामीण और वरिष्ठ नागरिकों के लिए खास फायदेमंद मानी जा रही है।
2️⃣ डिवाइस-नेटिव बायोमेट्रिक (Face ID / Fingerprint Sensor)
यह विकल्प मोबाइल के अपने फिंगरप्रिंट सेंसर या फेस आईडी का उपयोग करेगा।
किसी नए डेटा की आवश्यकता नहीं होगी।
यह तरीका ₹1,000 तक के छोटे लेनदेन के लिए उपलब्ध रहेगा।
इससे ऊपर के भुगतान के लिए पारंपरिक UPI पिन आवश्यक रहेगा।
यदि किसी कारण से बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण विफल हो जाता है (जैसे सेंसर खराब होना, रोशनी की कमी आदि), तो सिस्टम स्वतः ही पिन-आधारित विकल्प पर लौट जाएगा।
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✅ फायदे (लाभ)
उच्च सुरक्षा: चेहरा या फिंगरप्रिंट जैसी पहचान नकली बनाना मुश्किल है।
तेजी और सुविधा: पिन टाइप करने की जरूरत खत्म — सिर्फ एक नजर या टच से भुगतान संभव।
आसान ऑनबोर्डिंग: आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन से नए उपयोगकर्ताओं के लिए UPI सेटअप आसान।
समावेशन: बुजुर्गों और ग्रामीण उपयोगकर्ताओं के लिए ज्यादा उपयोगी।
छोटे लेनदेन में सहजता: ₹1,000 तक के पेमेंट्स के लिए सबसे तेज़ और सुरक्षित विकल्प।
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⚠️ चुनौतियाँ और जोखिम
डेटा गोपनीयता: बायोमेट्रिक डेटा स्थायी होता है; लीक होने पर बदला नहीं जा सकता।
गलत पहचान (False Reject/Accept): सेंसर, चोट या रोशनी जैसी वजहों से प्रमाणीकरण विफल हो सकता है।
मोबाइल पर निर्भरता: यह सुविधा पूरी तरह फोन के सेंसर और सुरक्षा पर निर्भर करती है।
लिवनेस डिटेक्शन: धोखाधड़ी रोकने के लिए असली-नकली पहचान की तकनीक मजबूत करनी होगी।
सीमित लेनदेन सीमा: ₹1,000 से अधिक भुगतान के लिए पारंपरिक पिन जरूरी रहेगा।
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🔐 सुरक्षा मॉडल में बदलाव
पुराना तरीका (PIN आधारित): “कुछ जो आप जानते हैं” — पिन भूलने या चोरी होने की संभावना; पिन आसानी से बदला जा सकता है।
नया तरीका (Biometric आधारित): “कुछ जो आप हैं” — चेहरा या फिंगरप्रिंट; डेटा स्थायी होता है, इसलिए सुरक्षा और एन्क्रिप्शन बेहद जरूरी है।
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🗣️ निष्कर्ष
UPI का यह नया बायोमेट्रिक फीचर भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति में अगला बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब भुगतान केवल “कुछ जो आप जानते हैं” नहीं बल्कि “कुछ जो आप हैं” पर आधारित होगा।
यह बदलाव न केवल सुरक्षा और सुविधा बढ़ाएगा बल्कि वित्तीय समावेशन को भी नए स्तर पर ले जाएगा।
हालाँकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि डेटा सुरक्षा, एन्क्रिप्शन और उपयोगकर्ता की सहमति कितनी मजबूती से लागू की जाती है।
अब आपका चेहरा ही आपका भुगतान पासवर्ड है — भारत डिजिटल भविष्य की ओर एक और कदम बढ़ा चुका है।
✍️ शिवपुरी तेज़ खबर
📅 तारीख: 7 अक्टूबर 2025